जब आयेगी, तब सोऊंगा ,
जहां आयेगी ,वहीं सोऊंगा,
रेलगाड़ी प्लेटफॉर्म पर कभी चढ़ेगी नहीं ,
जनता बगल से निकल ही जाएगी.
धूप मेरा क्या बिगाड़ लेगी,
गंदगी मुझे कितना और गंदा कर देगी ?
कुछ कुत्ते चाटेंगे , चाट लें,
संभव है छोटे बच्चे हंसें , तो हंस लें .
मैं ऐसा ही हूं और ऐसा ही रहूंगा ,
न सुधार का मानस है ,न महत्वाकांक्षा ,
मस्तमौला मत समझ लेना ,बस एक लीचड़ हूं,
आप में से ही एक,पक्का भारतीय हूं.
जैसे भारत की सफाई संभव नहीं,
मैं भी सुधर नहीं सकता ,
न देश स्वच्छ होना चाहता है न मैं,
कचरे में अपनापन है,उसे खो नहीं सकता.
प्रधान सेवक अपील करे तो हंस देना,
जब कचरा दिखे तो मूंह बिचका लेना,
गांधी गया, मोदी भी चला जाएगा,
जब चला जाएगा तब मुझे उठा देना.