बहुत ललाई मार रही है गीली ,सूनी सड़क,
इठला रही है स्ट्रीट लेंपों की जगमगाहट में,
हल्की फुहारें गिरते हुए लैम्प की रोशनी में चमकती हुई ,
फिल्म स्टुडियो की बारिश का सा एहसास कराती हैं ।1।
आज शाम भले ही थोड़ी ही बरसात हुई,
पर आसमां ठसाठस भरा है काले बादलों से,
रुकी हुई हवा को भाँप कर लगता है मानो ,
आज रात कयामत बरस कर ही दम लेगी ।2।
पेड़ काले ,काली परछाई लाल डगर पर गिराते हैं,
कुछ रहस्य पनपते हैं जेहन में ,
कुछ रहस्यवाद का बोध कराते हैं ,
पक्षियों के ये प्रश्रय झड़ी लगने पर उन्हें कहाँ ,कैसे छुपाते हैं ? (3)
एक कामकाजी महिला काला छाता टाँगे शायद लौट रही है घर को,
हॉर्न बजाती,फ्लेश जलाती एक कार भड़भड़ाकर निकलती है ,
कार चलाने वाला भीग नहीं रहा है पर बहुत जल्दी में है ,
बहुत संभव है कहीं पीने-पिलाने की घोष्ठी छूटे जा रही हो ।4।
राजकपूर और नर्गिस इस दृश्य से नदारद हैं ,
मौसम श्री 420 के गाने से ज़्यादा मनभावन है ,
बारिश में एक छाते में फसा एक अधसूखा युगल ,
शायद घर पहुँच कर खुद को पूरा भिगो रहा हो ।5।
जिनके घर हैं वो अब अंदर दुबक गए हैं ,
कौन जाने सहस्त्रों चिड़ियाँ कहाँ शरण पाएँगी ,
गीले कपचड़ में आवारा कुत्ते जहां-तहां सर छुपाएंगे,
हमें क्या , सब भुला पक्की छत तले पकौडों की अर्ज़ लगायेंगे ।6।