एक गहरे मित्र की कमर में चोट लगी है । डॉक्टर ने उसे दो हफ्ते बिस्तर पर लेटे रहने की सख्त हिदायत दी है । कमर का दर्द ऐसा ही है । आपके पास मनोरंजन का कोई चारा नहीं बचता । बैठकर tv भी नहीं देखा जा सकता ,लेटे ही रहना पड़ेगा ,वरना दर्द लंबे समय तक ठीक न होगा । कल अपने दोस्त से मिलने गया था । वैसे वह बहुत संजीदा किस्म का गाने-बजाने और कविता पाठ करने वाले मिजाज का इंसान है । पर कल न गाना ही सुनाया ,न ही अधिक बात की । गुमसुम खोया रहा शायद यह सोच रहा होगा की कब चल सकूँगा । कुछ पंक्तियाँ उसी को देख कर लिखी गईं ….
बिस्तर पर पड़े हुए वह एक कटे हुए पेड़ जैसा लगता है,
कुछ दिन तक वह न हिल,न ही डुल सकता है ,
डॉक्टर ने उसे सपने देखने से तो मना नहीं किया ,
बस सपनों को छूने और पकड़ने से रोक रक्खा है ।
रोज़मर्रा मे उसे चलना फिरना भी पसंद नहीं ,
आजकल मगर फूटबाल खेलने की तीव्र इच्छा है ,
यों तो वह बहुत चलायमान भी नहीं,
मगर लेटे लेटे चहलकदमी करने को छटपटाता है।
वो महबूबा की आँखों में आँखें डालकर ,
शेरों और ग़ज़लों में मोहब्बत करने वाला आदमी है ,
आज शिथिल-घायल होकर शय्या पर भीष्म की तरह पड़ा
क्यूँ किसी रूपसी की चंचल-चितवन देह के विछोह में
अतृप्त ,अधमरा होकर संताप करता है और
अपने पुनः स्वस्थ होने की कामना करते हुए
बागों में पेड़ों के इर्द गिर्द गीत -नृत्य करने के ख्वाब सँजो रहा है ।
वह जानता है जब खड़ा हो जाएगा ,
तब यह सब बाल सुलभ क्रियाएँ करते लजा आएगी ,
हारमोनियम के बिना , टेबल पर ही तबला बजाते हुए
जो लेटे लेटे पंक्तियाँ सोची हैं ,
उन्हे गाने से ही प्रेयसी मान जाएगी .