वो आ चुके हैं लाशें गिनने,
आ चुके हैं वोट बीनने,
अब हर्जाना बांटेंगे,
टूटे घरों मे फूटे मटके रख
राहत का फीता काटेंगे।5।
यही रीत चली आई है,
यही रीत चलेगी.
विकास के नाम पर लूट,
लूट के खिलाफ वोट,
जीतने वाले की ओर से
ईनाम में आवाम के सीने पर चोट।11।
तुम मरते रहे हो,
मरते ही रहोगे,
उनकी जेबें कभी नहीं भरेंगी ,
आत्मा चाहे हो जाए लबालब
लोभ कभी सैलाब बनकर नहीं बह निकलेगा।16।